आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास का यह à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ लंबे और कठिन संघरà¥à¤· के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ जब हमें सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ तो हमने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन की सब वैधानिक पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को जà¥à¤¯à¥‹à¤‚-का-तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रख लिया। और फिर जब हम सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठसंविधान लिखने बैठे तो हमने उन सब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को संवैधानिक आवरण देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ बना लिया। हमारे अति-विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ लिखित संविधान का तीन-चौथाई à¤à¤¾à¤— तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के समय के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ अधिनियम 1935 की पà¥à¤¨à¤°à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ ही है। वह अधिनियम बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ संसद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तब तक पारित सबसे लंबा अधिनियम था, कदाचितॠइसीलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान à¤à¥€ विशà¥à¤µ का सबसे लंबा लिखित संविधान बन गया।
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संविधान में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ काल की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का इस पà¥à¤°à¤•ार का अपरिमित समावेश हमारे सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® की मूल पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤“ं के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में और à¤à¥€ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• दिखता है। गांधीजी के नेतृतà¥à¤µ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोगों ने जो सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® लड़ा था वह अपने आप में विलकà¥à¤·à¤£ था। वह संगà¥à¤°à¤¾à¤® अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के विरà¥à¤¦à¥à¤§ था। गांधीजी कहा करते थे कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ रह जाà¤à¤ और उनकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ चली जाà¤à¤ तो मैं समà¤à¥‚à¤à¤—ा कि सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ आ गया और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ चले जाà¤à¤ पर उनकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ रह जाà¤à¤ तो मैं समà¤à¥‚à¤à¤—ा कि सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ नहीं आया। वह संगà¥à¤°à¤¾à¤® मातà¥à¤° सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठनहीं था। उसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ था और सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का अरà¥à¤¥ था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सारà¥à¤µà¤œà¤¿à¤¨à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की विशिषà¥à¤Ÿ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•ृति के अनà¥à¤°à¥‚प होंगी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ ढंग से अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ जीवन जीयेंगे।
सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के इस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठसंघरà¥à¤· के साधन à¤à¥€ गांधीजी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प ही गढ़े थे। उनको चिंता थी कि हम हिंसा के मारà¥à¤— पर चलेंगे तो सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ तो कदाचितॠमिल जायेगी पर सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ नहीं मिल पायेगा, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ तो कदाचितॠहार जायेंगे पर उनकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ नहीं हारेंगी। इसीलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® को सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ का रूप दिया था। उनका कहना था कि हम अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ को परासà¥à¤¤ करने के लिये संघरà¥à¤· नहीं कर रहे थे, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¿à¤¯à¤¤ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ अपने-आप को दृढ़ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ करने के लिठसतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ कर रहे थे।
साय à¤à¤µà¤‚ साधन दोनों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ इतनी सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ रखते हà¥à¤ जो सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® महातà¥à¤®à¤¾ गांधी जैसे सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€ के नेतृतà¥à¤µ में लड़ा गया उसकी परिणति अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ करने वाले संविधान में कैसे हà¥à¤ˆ, यह निशà¥à¤šà¤¯ ही आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास का à¤à¤• अनà¥à¤¤à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है। यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ कोई निरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कà¥à¤¤à¥‚हल का विषय नहीं है। अपने जीवन काल में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤¨ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अपने परम वैà¤à¤µ में पà¥à¤¨à¤ƒ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होते हà¥à¤† देखने का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ रखने वालों के लिठइस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° ढूà¤à¤¢à¤¨à¤¾ अनिवारà¥à¤¯ है।
इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° पाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने से पूरà¥à¤µ यह जानना पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन-काल में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वैधानिक, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤•, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤•, शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का विकास कैसे हà¥à¤†? जो वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अपने पीछे यहाठछोड़ कर गये वे कोई à¤à¤• दिन में खड़ी नहीं हो गयी थीं। अठारहवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के पूरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤§ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कतिपय à¤à¤¾à¤—ों में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने उन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की देशज वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अपनी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का आरोपण पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दिया था। उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें मराठों की पराजय के उपरांत à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ की यह पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤› तीवà¥à¤° हà¥à¤ˆà¥¤ फिर 1857 के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾-संगà¥à¤°à¤¾à¤® की असफलता के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन को नियमित à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ करने के लिये अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•ता बढ़ती चली गयी और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤° वैधानिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प दिया जाने लगा। 1935 का गवरà¥à¤¨à¤®à¥‡à¤‚ट ऑफ इंडिया à¤à¤•à¥à¤Ÿ (à¤à¤¾à¤°à¤¤ शासन अधिनियम) सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सब कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•ी इन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को औपचारिक संवैधानिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤µà¤‚ संरकà¥à¤·à¤£ देने का ही पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ था। 1950 में इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संविधान में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गयी।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का यह कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• विकास इस सà¥à¤¦à¥€à¤°à¥à¤˜ काल के राजनैतिक-सांसà¥à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ के मय ही हà¥à¤†à¥¤ चाहे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ था, फिर à¤à¥€ इन विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ केवल अपने से ही नहीं कर सकते थे। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनेताओं और समाज के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ रखने वाले शिषà¥à¤Ÿà¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को निरंतर इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से जोड़ते हà¥à¤ और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤—ों में बन रहे नये-नये समीकरणों में संतà¥à¤²à¤¨ बैठाते हà¥à¤ ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अपनी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का आरोपण à¤à¤µà¤‚ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° कर रहे थे। इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के परिवरà¥à¤¤à¤¨ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति में हो रहे परिवरà¥à¤¤à¤¨ का ही à¤à¤¾à¤— थी, दोनों पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤ à¤à¤• दूसरे पर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ थीं।
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अपना लिया? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन के काल में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में चली सामाजिक à¤à¤µà¤‚ राजनैतिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में ही निहित है, à¤à¤¸à¤¾ सोचते à¤à¤µà¤‚ मानते हà¥à¤ हम कà¥à¤› मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने 2012 के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें शà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प से सागà¥à¤°à¤¹ निवेदन किया कि वे इस कालखणà¥à¤¡ के इतिहास को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकà¥à¤›à¥‡à¤• सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें।
शà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ इतिहासकारों में अपना विशेष सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। लंबे काल तक वे इतिहास पढ़ाते रहे हैं। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤œà¥€à¤µà¤¨ से संबंधित अनेक महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषयों पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ शोध किया है। à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• साकà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ सूचनाओं का शà¥à¤°à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• संकलन करते रहना उनकी शोधवृतà¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤— रहा है। अतः अनेक विषयों पर दà¥à¤°à¥à¤²à¤ सामगà¥à¤°à¥€ का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° उनके पास सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान के मायम से आरोपित अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज की पà¥à¤°à¤•ृति के विपरीत हैं, उनके कारण विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जातियों à¤à¤µà¤‚ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ों के मय समरसता छिनà¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हो रही है, समाज में सहज नौतिकता का कà¥à¤·à¤°à¤£ हो रहा है और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ बाधित हो रही है, यह उनके लिठअनेक दशकों से चिंतन का विषय रहा है। अतः इन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के विकास के कà¥à¤°à¤® à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पर वे शोध à¤à¤µà¤‚ विचार करते रहे हैं।
हमारे आगà¥à¤°à¤¹ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर शà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प ने इस विषय पर सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¤• शृंखला पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया। शनिवार 30 जून 2012 से यह शृंखला पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤ˆ और शनिवार 27 अकà¥à¤¤à¥‚बर 2012 तक निरंतर चली, केवल 15 सितंबर के शनिवार को इस में वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ आया। उस दिन राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤œà¥€ के निधन के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ सà¤à¤¾ ने शोक सà¤à¤¾ का रूप ले लिया।
ये वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिलà¥à¤²à¥€ महानगर के केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤— में दो सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर हà¥à¤à¥¤ पहले गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ बाराखंà¤à¤¾ मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯ अनाथालय की कोठी में और शेष कनाट पà¥à¤²à¥‡à¤¸ में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लाला दीवानचंद नà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के हाल में हà¥à¤à¥¤ पाà¤à¤š महीने तक चली इस शृंखला में अनेक विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और अनेक विदà¥à¤µà¤¤à¥ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ जनों ने à¤à¤¾à¤— लिया। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में नà¥à¤¯à¥‚नतम 50-60 के आसपास की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ रहती थी, अनेक वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ इससे कहीं अधिक थी। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि कà¥à¤²Â 250 लोगों ने इस शृंखला में à¤à¤¾à¤— लिया होगा। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में आने वाले लोगों में अनेक इस विषय के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ अयेता थे और अनà¥à¤¯ अनेक की गणना अपने-अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के अगà¥à¤°à¤£à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में होती है। किसी गहन गंà¤à¥€à¤° विषय पर हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में लोगों की à¤à¤¸à¥€ रà¥à¤šà¤¿ सà¥à¤–द आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ का विषय था।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में इस शृंखला के पहले 17 वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ शबà¥à¤¦à¤¶à¤ƒ संकलन किया गया है। लिखित à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤•रण की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अनिवारà¥à¤¯ किंचितॠमातà¥à¤° संपादन ही हà¥à¤† है, जहाठतक संà¤à¤µ हो पाया शà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ वाकà¥à¤¯ रचना को जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रखने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है। इस कारण कहीं-कहीं कà¥à¤› पà¥à¤¨à¤°à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का रह जाना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• ही है। अंतिम 18वें वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ का उपयोग शà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प ने शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं के साथ विचार-विमरà¥à¤¶ के लिठकिया, उसको इस संकलन में नहीं जोड़ा गया।
इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में अठारहवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के मय से लेकर बीसवीं के मय तक के कालखणà¥à¤¡ के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास का विशद वरà¥à¤£à¤¨ आ गया है। यह वरà¥à¤£à¤¨ इतना वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरल, सà¥à¤—म à¤à¤µà¤‚ बोधगमà¥à¤¯ बन पाया है कि इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• को इस काल के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास की पाठपà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के रूप में पढ़ा जा सकता है। इस शृंखला के अनेक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों का सहज उदà¥à¤—ार था कि काश हमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ अथवा महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर इतिहास à¤à¤¸à¥‡ सरल ढंग से पढ़ाया गया होता।
इस कालखणà¥à¤¡ के इतिहास के इस सहज तथà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• वरà¥à¤£à¤¨ से पहली बात तो यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होती है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ इतिहासकारों ने यह जो à¤à¥à¤°à¤® फैला रखा है कि दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में फà¥à¤°à¤¾à¤‚सीसियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ थोपे गये यà¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ के कारण ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति में उलà¤à¤¨à¤¾ पड़ गया, यह कोरा à¤à¥‚ठहै। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपना सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का सपना लेकर ही यहाठआये थे और इसके लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बहà¥à¤¤ पहले से à¤à¤¾à¤°à¤¤ की समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ सीमाओं की घेराबंदी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दी थी। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का यह कहना कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वे मà¥à¤—लों के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी थे, मà¥à¤—लों से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†, यह à¤à¥€ à¤à¥‚ठहै। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सब à¤à¤¾à¤—ों में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥à¤µà¤‚दà¥à¤µà¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ देशज राजा à¤à¤µà¤‚ मराठे ही थे। उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें मराठों के पतन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर हावी हो पाये और इस पà¥à¤°à¤•ार उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ मà¥à¤—लों से नहीं अपितॠमराठों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था। मराठों के इतिहास का और उनकी शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾à¤“ं दोनों का विशद वरà¥à¤£à¤¨ इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में आया है।
मराठों के पतन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ को यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया कि अब à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर उनका à¤à¤•छतà¥à¤° राजà¥à¤¯ चलने वाला है। तब से ही बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ समाज के उचà¥à¤š वरà¥à¤—ों में यह निरà¥à¤£à¤¯ कर लिया गया कि अब हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ को छोड़कर जाने वाले नहीं हैं और कà¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को छोड़ने का अवसर आ ही गया तो हम यह देश à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ वरà¥à¤— के हाथों छोड़ कर जायेंगे जो हमारी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और हमारे आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ को अपना मानता होगा और हमारे पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखता होगा। तब से ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ इतिहास और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के चरितà¥à¤° का à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤‚त नकारातà¥à¤®à¤• बौदà¥à¤§à¤¿à¤• चितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का कà¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया। शिकà¥à¤·à¤¾, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नयी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ तà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤ˆà¥¤ साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पारंपरिक देशज शिषà¥à¤Ÿ वरà¥à¤—ों को समापà¥à¤¤ कर उनके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर नये वरà¥à¤—ों को आरोपित करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दिया। इसी कà¥à¤°à¤® में à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ बड़े सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईसाई बनाने का à¤à¥€ था।
इन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की परिणति 1857 के विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ में हà¥à¤ˆà¥¤ उस संगà¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के देशज शिषà¥à¤Ÿ वरà¥à¤—ों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को बचाने का à¤à¤• अंतिम शौरà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। इस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में मराठों के समय से सतà¥à¤¤à¤¾à¤šà¥à¤¯à¥à¤¤ हà¥à¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¥€ देशज à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शिषà¥à¤Ÿ वरà¥à¤— के साथ आ गये थे, संगà¥à¤°à¤¾à¤® मà¥à¤—ल समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥ को दिलà¥à¤²à¥€ की गदà¥à¤¦à¥€ पर पà¥à¤¨à¤ƒ बैठाने के नाम पर ही लड़ा गया था। इस संगà¥à¤°à¤¾à¤® की विफलता ने दीरà¥à¤˜à¤•ाल तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर अपना शासन चलाठरखने और इसलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को अपने अनà¥à¤°à¥‚प ढालते चले जाने के अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के संकलà¥à¤ª को और दृढ़ कर दिया। 1857 की पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि à¤à¤µà¤‚ उस संगà¥à¤°à¤¾à¤® की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤–à¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤¾à¤“ं का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ à¤à¥€ इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में हà¥à¤† है।
पर 1857 के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤› दशक के à¤à¥€à¤¤à¤° ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ का सशकà¥à¤¤ जागरण होने लगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से चला à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ गोवा-विरोधी आंदोलन इस जागरण का पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤¸à¥à¤«à¥à¤Ÿà¤¨ था। 1893 में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ का अमरीका में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤šà¤¤à¤¾ का उष इस जागरण का औपचारिक घोष माना जा सकता है। इस नवजागरण की à¤à¤• बड़ी विशेषता यह थी कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़ा-लिखा वरà¥à¤— इसमें अगà¥à¤°à¤£à¥€ à¤à¥‚मिका में था। इस वरà¥à¤— को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अपनी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अपने आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ वरà¥à¤— के रूप में खड़ा कर रहे थे। बंगाल इस वरà¥à¤— का गढ़ था। शीघà¥à¤° ही उसी बंगाल से उसी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़े-लिखे वरà¥à¤— के नेतृतà¥à¤µ में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ का सशकà¥à¤¤ आंदोलन चला और उस आंदोलन की बयार पूरे देश में बह निकली, पूरा देश जागृत हो उठा। लाल-बाल-पाल पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वरà¥à¤— के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾-रà¥à¤§à¥‹à¤¤ बन गये। सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ आंदोलन और उसके पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में आया है।
1915 में महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ आकर उस सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ आंदोलन को और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤–र रूप दे दिया। तब तक सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ और उसके साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी आंदोलन का दमन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ कर चà¥à¤•े थे, आंदोलन के सब पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नेता या तो जेलों में थे या à¤à¤¾à¤°à¤¤ से बाहर जा चà¥à¤•े थे। महातà¥à¤®à¤¾ गांधी के आते ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजनीति अतà¥à¤¯à¤‚त सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो उठी। सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ का आवरण ओढ़ और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का सपना लेकर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज सब पà¥à¤°à¤•ार के कषà¥à¤Ÿ सहने के लिठततà¥à¤ªà¤° हो उठा। अगले पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ दो दशकों तक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति में पहल गांधीजी के ही हाथ में रही।
सब पहल गांधीजी के हाथों में होते हà¥à¤ à¤à¥€ इस काल में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ निरंतर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अपने पà¥à¤°à¤•ार की संवैधानिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं में बांधने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते चले गà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में कानून, डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ आदि जैसे नये वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़ा-लिखा जो बड़ा वरà¥à¤— अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने तब तक खड़ा कर लिया था, वह गांधीजी के नेतृतà¥à¤µ में तो आ गया था पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के लिठउसका मोह कदाचितॠबना ही रहा था। इसी वरà¥à¤— के दबाव में 1921 में गांधीजी को कहना पड़ा था कि चाहे उनका अंतिम येय हिंद सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का है पर उनका तातà¥à¤•ालिक उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ तो संसदीय सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना है।
इस वरà¥à¤— को आधार बनाकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अपनी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बनाते चले गये। 1919 के अधिनियम के मायम से जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने सतà¥à¤¤à¤¾ में à¤à¤¾à¤—ीदारी का कà¥à¤› अवसर इस पढ़े-लिखे वरà¥à¤— के लिठखोला तो अनेक कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ नेता कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ छोड़ कर चले गये। गांधीजी के आने से पहले 1909 के संवैधानिक सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से विविध सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर सतà¥à¤¤à¤¾ चलाने का जो छोटा-सा अवसर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने दिया था उसमें à¤à¥€ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के अनेक बड़े नेता आ गये थे। फिर 1935 के अधिनियम से जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत शकà¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚पनà¥à¤¨ संसदीय पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में à¤à¤¾à¤— लेने का कà¥à¤› अवसर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को देने का पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ दिया तब तो लगता है कि कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सब नेता उस दिशा में चल निकले थे। इस पà¥à¤°à¤•ार 1935 का अधिनियम सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤¾à¤µà¥€ संविधान ही बन गया। 1932 की गोलमेज कांफà¥à¤°à¥‡à¤‚स से लेकर 1937 के परिषदों के चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ तक के कालखणà¥à¤¡ में कैसे गांधीजी पहल खोते गये और कैसे वे कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में ही अपà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक होते गये, इसका विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ यहाठआया है।
सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की अवाधरणा के विपरीत अपनी ही पà¥à¤°à¤•ार की संवैधानिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आरोपित कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ से जाने के अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ संकलà¥à¤ª को पूरा करने में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़ा-लिखा वरà¥à¤— ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उपकरण बना। मोतीलाल नेहरॠइसी वरà¥à¤— का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करते थे। 1935 के बाद जवाहरलाल नेहरॠà¤à¥€ खà¥à¤² कर महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की हिंद सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ से अपने-आप को दूर करने लगे थे। फिर 1942 में तो इस वरà¥à¤— के सब पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नेता गांधीजी के विरà¥à¤¦à¥à¤§ खड़े हो गठथे। à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आंदोलन गांधीजी ने इन वरà¥à¤—ों के मà¥à¤–र विरोध की अवहेलना करते हà¥à¤ ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया। इन वरà¥à¤—ों के तीवà¥à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§ के होते हà¥à¤ à¤à¥€ गांधीजी सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ इनके नेताओं से निकट संबंध बनाये रहे। सबको साथ लेकर चलना उनकी अनिवारà¥à¤¯à¤¤à¤¾ ही थी। वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ को जोड़ना चाहते थे, तोड़ना नहीं। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संदरà¥à¤à¥‹à¤‚ में मोतीलाल à¤à¤µà¤‚ जवाहरलाल नेहरॠके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गांधीजी के विशेष औदारà¥à¤¯ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– इस शृंखला में आया है। उसका रहसà¥à¤¯ कदाचितॠअंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पोषित अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़े-लिखे वरà¥à¤— को कà¥à¤› सीमा तक संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ रखने की यह अनिवारà¥à¤¯à¤¤à¤¾ ही थी।
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को आरोपित करने के अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पढ़े-लिखे à¤à¤µà¤‚ वकालत, डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ आदि से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ इस वरà¥à¤— के अतिरिकà¥à¤¤ दो अनà¥à¤¯ वरà¥à¤—ों का उपयोग अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने करना चाहा। इनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– वरà¥à¤— मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का था। लगता है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने बहà¥à¤¤ पहले से यह समठलिया था कि अपनी वैशà¥à¤µà¤¿à¤• इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ विचाराधरा के कारण मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ के पकà¥à¤· में नहीं हो सकते। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें कà¥à¤› समय के लिये खिलाफत आंदोलन के मायम से गांधीजी मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आंदोलन की मà¥à¤–à¥à¤¯ धारा में लाने में सफल होते दिखायी देते हैं। पर वह गठबंधन खिलाफत के साथ ही समापà¥à¤¤ हो गया। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ निरंतर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का उपयोग गांधीजी का अवरोध करने के लिये करते रहे। मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को किस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ की मà¥à¤–à¥à¤¯ धारा से जोड़ा जाये, यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ गांधीजी के समकà¥à¤· सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ बना रहा। इस यकà¥à¤·à¤ªà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विवेचन इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में हà¥à¤† है।
मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ दलित वरà¥à¤— का उपयोग गांधीजी के विरà¥à¤¦à¥à¤§ करने का सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने किया। पर दलितों में गांधीजी का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इतना गहरा था कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के उस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ को वे बहà¥à¤¤ सीमा तक कà¥à¤£à¥à¤ ित कर पाये। फिर à¤à¥€ डॉ. अंबेडकर तो गांधीजी की सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की अवाधरणा के विरà¥à¤¦à¥à¤§ ही रहे। गांधीजी जिन गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ पंचायतों को सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का आधार मानते थे उनके विषय में अतà¥à¤¯à¤‚त कठोर शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का उपयोग अंबेडकर ने संविधान सà¤à¤¾ में किया। इस पà¥à¤°à¤•रण और संविधान सà¤à¤¾ के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•लाप का वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¥€ इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में हà¥à¤† है। इस वरà¥à¤£à¤¨ से यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ उà¤à¤° कर आता है कि संविधान का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प तो 1935 के अधिनियम के आधार पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ काल के अफसरों ने ही बना दिया था, संविधान सà¤à¤¾ में इस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प में कोई बड़ा परिवरà¥à¤¤à¤¨ करने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ नहीं थी। बाद में डॉ. अंबेडकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ संविधान के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में अपनी à¤à¥‚मिका का उपहास करते हैं, इस पà¥à¤°à¤•रण का उलà¥à¤²à¥‡à¤– à¤à¥€ यहाठआया है।
इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान और उसमें वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ समसà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• विकास का संपूरà¥à¤£ इतिहास इस वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ शृंखला में आ गया है। इससे कà¥à¤› सीमा तक यह समठआता है कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दीरà¥à¤˜ काल तक सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ और सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ के लिठसंघरà¥à¤·à¤°à¤¤ रहने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को सà¥à¤µà¥€à¤•ार करना पड़ा, कैसे अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अपने लंबे शासनकाल में इन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं के पकà¥à¤· में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के ही अनेक वरà¥à¤—ों को खड़ा कर पाये। इस परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में यह à¤à¥€ समठआता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान को सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥‚प में ढालने की समसà¥à¤¯à¤¾ कितनी जटिल है और इसके लिठकिस पà¥à¤°à¤•ार के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने होंगे। पर यह तो अलग वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ शृंखला का विषय है।
यह वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ शृंखला दिलà¥à¤²à¥€ नागरिक परिषदॠऔर दीवानचंद इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥‚ट ऑफ नेशनल अफेयरà¥à¤¸ के सहयोग से आयोजित हो पायी। उन दोनों संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ उनके पदाधिकारियों के हम आà¤à¤¾à¤°à¥€ हैं। शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ के कारण ही यह शृंखला इतने लंबे समय तक चल पायी, शृंखला में à¤à¤¾à¤— लेने वाले सब शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों का अतà¥à¤¯à¤‚त आà¤à¤¾à¤°à¥¤ केंदà¥à¤° के अनà¥à¤¯ अनेक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समान ही इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के संपादन में à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ बनवारी à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¸ का बड़ा सहयोग à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ रहा है। मेरे अगà¥à¤°à¤œ साथी डॉ. सूरà¥à¤¯à¤•ांत बाली और डॉ. मीनाकà¥à¤·à¥€ जौन à¤à¤µà¤‚ डॉ. चंदà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² ने विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार से पहले शृंखला को चलाने और फिर इन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के संकलन-संपादन के कारà¥à¤¯ में सहयोग किया है। उन सब का आà¤à¤¾à¤°à¥¤
कृषà¥à¤£ जनमाषà¥à¤Ÿà¤®à¥€, कलि 5116                                                            जितेंदà¥à¤° बजाज
अगसà¥à¤¤ 17, 2014
समाजनीति समीकà¥à¤·à¤£ केंदà¥à¤°, दिलà¥à¤²à¥€
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान की औपनिवेशिक पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि: देवेंदà¥à¤° सà¥à¤µà¤°à¥‚प
Dr. J. K. Bajaj (edited)
Centre for Policy Studies, New Delhi
Hindi 2014 ISBN 81-86041-42-7
Price Rs. 300/-